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औषधि इकाइयोंमें न्यूट्रास्युटिकल्स: मुद्देकीजांचकेलिएपैनल


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  • Jun 19, 2024
  • Updated 09:47:08am IST
औषधि इकाइयोंमें न्यूट्रास्युटिकल्स: मुद्देकीजांचकेलिएपैनल
भारतीय दवा उद्योग में एक नवगठित समिति के गठन की खबर चर्चा में है, जिसे एक महत्वपूर्ण मुद्दे की जांच करने का काम सौंपा गया है: क्या न्यूट्रास्युटिकल्स का निर्माण दवाओं के समान सुविधाओं में किया जा सकता है?
इस निर्णय का रोगी सुरक्षा और उद्योग विकास दोनों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जिससे यह उच्च वाणिज्यिक क्षमता (CPC) वाला विषय बन जाएगा और खोज रैंकिंग में प्रतिस्पर्धा अपेक्षाकृत कम होगी। औषधि इकाइयोंमें न्यूट्रास्युटिकल्स: मुद्देकीजांचकेलिएपैनल
इस वर्ष की शुरुआत में, भारत के औषधि नियामक, केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने राज्य औषधि प्राधिकरणों के साथ मिलकर एक ही संयंत्र में न्यूट्रास्युटिकल्स (आहार पूरक) और पारंपरिक औषधियों , दोनों का उत्पादन करने वाली दवा कंपनियों पर कार्रवाई की घोषणा की थी ।
यह कदम संभावित क्रॉस-संदूषण की चिंताओं और फार्मास्यूटिकल्स के लिए विनिर्माण मानकों के सख्त पालन की आवश्यकता से उपजा है।
हालाँकि, इस निर्णय पर विभिन्न फार्मा लॉबी, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का प्रतिनिधित्व करने वाले फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर्स (एफओपीई) की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई।
एफओपीई ने तर्क दिया कि सह-उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबंध से घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन चिंताओं के जवाब में, सीडीएससीओ ने 27 मई, 2024 को पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की।
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